Quotes 2Day

Feb 25, 2023

संस्कार Vs. प्रेम संबंध || A Doctor Real Life Story

संस्कार

प्रीति और कुणाल का 6 साल के प्रेम संबंध ने आज एक मोड़ पर आकर दम तोड़ दिया। मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेते ही प्रथम वर्ष में ही दोनों की दोस्ती हुई। दोनों को धीरे-धीरे समझ में आने लगा कि एक दूसरे को चाहने लगे हैं। दोनों एक दूसरे को डेटिंग करने लगे। कभी किसी कॉफी हाउस में बैठकर घंटों करते तो कभी किसी थिएटर में बैठकर कोई मनपसंद मूवी देखते। कॉलेज में भी दोनों के रिश्ते की चर्चा होने लगी। सभी बातों से बेफिक्र दोनों अपने में मस्त थे।

देखते ही देखते 4 साल कैसे गुजर गए पता नहीं चला। दोनों एमबीबीएस डॉक्टर हो गये। पीजी करने के लिए दोनों को अलग-अलग शहर जाना पड़ा। दोनों एक दूसरे को बहुत मिस करने लगे। फिर भी छुट्टियों में कभी-कभी दोनों एक दूसरे से मिल लेते और घंटों बैठ कर बात करते। आखिर में दोनों ने यह फैसला लिया कि एक ही शहर में कोई हॉस्पिटल ज्वाइन करेंगे। आखिर में दोनों ने दिल्ली का एक हॉस्पिटल ज्वाइन किया।

जब किराए के फ्लैट में रहने की बात आई तो दोनों ही परेशान थे क्योंकि दिल्ली जैसे शहर में किराया बहुत अधिक होता है। ऐसे में कुणाल ने प्रीति को एक साथ रहने का ऑफर दिया।

"एक साथ रहना अर्थात लिव इन रिलेशनशिप में?" प्रीति ने पूछा।

"हां.. शादी से पहले एक साथ रहने का अर्थ तो लिव इन रिलेशनशिप ही होता है प्रीति।"

"परंतु मेरे घर वाले पसंद नहीं करेंगे!"

"घरवालों को बताने की आवश्यकता ही क्या है? कह देना अलग फ्लैट में रहते हैं!"

"मैं घर वालों से झूठ नहीं बोल सकती.. मुझे ऐसे संस्कार नहीं मिले हैं!"

"झूठ बोलने की आवश्यकता ही क्या है? उनको पता ही नहीं चलेगा!"

"कभी अगर मेरे मॉम डैड मुससे मिलने आए तब क्या कहूंगी? तब तो पता चल जाएगा। मैं अपने मॉम डैड से झूठ नहीं बोल सकती। और न ही मेरा मन लिव इन रिलेशनशिप के लिए मान रहा है!"

"तुम कितनी कंजरवेटिव ख्याल की हो। इस युग की लड़कियां तो ऐसी नहीं होती है। आजकल इस रिलेशन को तो बहुत ही नॉर्मल तरीके से लिया जाता है। छोटे-छोटे शहरों में भी लड़कियां लिव इन रिलेशनशिप में रहती है और हम तो महानगर में हैं। कम ऑन प्रीति.. कैसे घिसे पिटे विचार लेकर चलती हो तुम।"

"घिसे पीटे ही सही.. जो संस्कार मेरे मॉम डैड ने मुझे दिए हैं.. मैं उन संस्कारों का दिल से इज्जत करती हूं! और शादी से पहले किसी लड़के से शारीरिक संबंध बनाने में परहेज करती हूं क्योंकि मैं खुद का इज्जत करना जानती हूं। एक काम क्यों नहीं करते हो तुम्हारे मॉम डैड से कहो कि मेरे मोम डैड से शादी की बात करें। हम दोनों ही अब डॉक्टर बन गए हैं अब तो शादी कर ही सकते हैं। शादी हो जाएगी तो फिर कोई प्रॉब्लम ही नहीं है रहेगा।"

"क्या... इतनी जल्दी शादी? अभी अभी तो हम डॉक्टर बने हैं और एक दूसरे को इतने अच्छे से समझ भी नहीं पाए!"

"6 साल हो गए हमारे रिलेशन को! तुम कह रहे हो एक दूसरे को समझ नहीं पाए और क्या समझना चाहते हो?"

"मैं तो एक साथ रहकर ही समझना चाहता हूं कि हम एक दूसरे के लायक है कि नहीं। लिव इन रिलेशनशिप में रह कर यही तो समझा जाता है।"

"फिर अगर लगेगा कि हम एक दूसरे के लायक नहीं है या एक दूसरे से मन भर जाएगा तो.. तो क्या करेंगे!" प्रीति का प्रश्न।

"तो अलग हो जाएंगे.. दूसरा जीवन साथी ढूंढ लेंगे!"

"व्हाट.. आर यू मैड कुणाल? तुम्हें पता भी है तुम क्या कह रहे हो?"

"हां.. हां.. अच्छी तरह पता है!"

"तो.. अब तक क्या तुम मुझसे प्यार का नाटक करते रहे?"

"बस.. तुम्हें समझ रहा था परंतु अभी तक कुछ समझ में नहीं आया!"

"तो..एक साथ रहने से समझ में आ जाएगा तुम्हें? तुम ये क्यों नहीं कहते कि तुम मुझसे शारीरिक संबंध बनाना चाहते हो इसलिए एक साथ रहना चाहते हो परंतु शादी नहीं करना चाहते। शादी करके जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहते! इसे एक्सप्लोइटेशन कहते हैं और मैं जानबूझकर खुद को एक्सप्लोइट होने नहीं दे सकती। मेरे संस्कार और मेरा एजुकेशन इस बात की इजाजत नहीं देता।"

"हां यही समझ लो.. किसी लड़की को अच्छे से जाने बिना उसकी जिम्मेदारी नहीं उठा सकता।"

"तुम लड़के लोग हम लड़कियों को क्या समझते हो? केवल खिलौना? क्या हमारा कोई मन नहीं है? कोई भावना नहीं है? हमारा समाज इतना शिक्षित हो गया परंतु अभी भी स्त्रियों को लेकर उनकी मानसिकता नहीं बदली। स्त्रियों को भोग्या समझना तुम जैसों की मानसिकता है! तुम अच्छे से समझ लो.. मैं उन लड़कियों में से नहीं हूं कि तुम मुझे एक्सप्लोइट कर सको। मैं तुम्हें अपना दोस्त समझती रही परंतु तुम तो आस्तीन का सांप निकले। तुमने अपने बुरे विचारों की ज़हर से मेरी भावना को आहत कर दिया। खिलवाड़ किया मेरी भावना से परंतु..मुझे अपनी भावनाओं पर पूरा नियंत्रण है। मॉम डैड ने मुझे बचपन से यह शिक्षा दी है! मुझे लड़की होने पर गर्व है, हीन भावना नहीं है मुझ में। अच्छा हुआ ईश्वर ने मुझे लड़की बनाकर जन्म दिया वरना तुम्हारी जैसी सोच वाला लड़का बनकर जन्म लेने से मुझे अफसोस होता! खैर.. जन्म से कोई बुरा नहीं होता.. परवरिश में कोई कमी रह जाती है तभी तुम जैसे लोग दिशाहीन भागते हैं! गुड बाय!! अब मैं चलती हूं और अपने शहर का कोई हॉस्पिटल ज्वाइन करूंगी!"

बहुत दृढ़ता से निर्णय लेकर प्रीति ने आगे कदम बढ़ा दिए और वह मन ही मन सोचने लगी.."थैंक्स मॉम डैड.. आप लोगों ने मुझे इतने अच्छे संस्कार दिए! इसके लिए दिल से आभार! काश कि सभी पेरेंट्स अपने बच्चों को चाहे लड़का हो या लड़की दोनों को अच्छे संस्कार देकर बड़ा करें तो ऐसी स्थिति उत्पन्न ही नहीं होगी।"

कुणाल, प्रीति और उसके कॉन्फिडेंस को पीछे से केवल देखता रह गया। उसे रोकने का उसमें साहस नहीं था..!!

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