सूरज ने कभी नहीं किया वादा
सुबह से मिलने का,जबकि
वो हर रोज मिला
नदियों ने कभी नहीं कहा सागर से,
जबकि वे उससे मिलीं
पेड़ों ने कभी नहीं किया वादा हमसे
जबकि उन्होंने फल दिया
जहाँ आश्वस्ती होती है
वहाँ वादा नहीं होता
वादा स्वयं से किया गया छलावा है।M
सूरज ने कभी नहीं किया वादा
सुबह से मिलने का,जबकि
वो हर रोज मिला
नदियों ने कभी नहीं कहा सागर से,
जबकि वे उससे मिलीं
पेड़ों ने कभी नहीं किया वादा हमसे
जबकि उन्होंने फल दिया
जहाँ आश्वस्ती होती है
वहाँ वादा नहीं होता
वादा स्वयं से किया गया छलावा है।M